कृषि पिटारा

चने की यह नई किस्म कई मामलों में है खास

नई दिल्ली: आम तौर पर अक्टूबर से नवंबर महीने के दौरान चने की बुवाई की जाती है। बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसान तो दिसंबर महीने तक भी चने की बुवाई करते हैं। ऐसे में यहां के किसानों के लिए अभी बेहतर मौका है कि वो चने की एक उन्नत किस्म की बुवाई कर अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकें। दरअसल, कृषि वैज्ञानिकों ने चने की एक नई किस्म विकसित की है। इस किस्म की खासियत यह है कि इसके झाड़ काफी लंबे होते हैं तथा इसका उत्पादन भी सामान्य चने की किस्म की तुलना में अधिक होता है। वैज्ञानिकों ने इस नई किस्म को जवाहर चना – 24 नाम दिया है।

फिलहाल रबी फसल की बुवाई चल रही है। कई किसानों ने गेहूं और जौ सहित अन्य फसलों की बुवाई कर दी है। लेकिन कुछ किसान ऐसे भी हैं, जो अभी तक अपनी पूरी जमीन पर रबी फसलों की बुवाई नहीं कर पाए हैं। ऐसे में इन किसानों के लिए अभी चने की बुवाई करने का एक अच्छा मौका है। ये किसान जवाहर चना – 24 की बुवाई कर सकते हैं। इससे उन्हें अन्य फसलों की तुलना में अधिक उपज मिलेगी। यह किस्म 110 से 115 दिन में पककर तैयार हो जाती है।

जवाहर चना – 24 को जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जवाहर चना – 24 की कटाई हार्वेस्टर के माध्यम से भी की जा सकेगी। किसानों के लिए यह एक काफी राहत की बात है। अगर किसान इस किस्म की बुवाई करते हैं तो उनके सामने इसकी कटाई की समस्या नहीं रहेगी। पहले जहां चने की कटाई करने में किसानों को एक दिन लग जाता था। वहीं, अब इस नई किस्म के चने को कुछ ही घंटे में हार्वेस्टर मशीन के द्वारा काटा जा सकता है। इससे किसानों को मजदूरों पर होने वाले खर्च से भी राहत मिलेगी व फसलों की बर्बादी भी कम होगी।

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