नई दिल्ली: केंद्र सरकार बहुत जल्द कृषि क्षेत्र में एक बहुत महत्वपूर्ण पहल करने जा रही है। दरअसल, खेतों को जहरीले रासायनिक उर्वरकों से मुक्त करने की दिशा में एक योजना लागू करने जा रही है। इस योजना का नाम है – पीएम प्रणाम। इस योजना को लागू करने के लिए केंद्र सरकार राज्यों को प्रोत्साहन राशि देगी ताकि वे रासायनिक खाद के इस्तेमाल से बचने के लिए वैकल्पिक खादों पर अपनी निर्भरता बढ़ाएं। केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित इस योजना का पूरा नाम है- पीएम प्रमोशन ऑफ ऑल्टरनेटिव विटामिन्स फॉर एग्रीकल्चर एडमिनिस्ट्रेशन योजना। इस योजना के माध्यम से रासायनिक खाद पर दी जाने वाली सब्सिडी का बोझ भी कम होगा। विदित है कि देश में हर साल रासायनिक खादों पर सब्सिडी बढ़ती जा रही है, जिसका बोझ सरकारी खजाने पर पड़ रहा है।
रासायनिक खादों की वजह से पैदावार में वृद्धि तो ज़रूर हो रही है लेकिन ये मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए बेहद ही नुकसानदेह हैं। ऐसे में अगर रसायनिक खाद का विकल्प तलाश लिया जाए तो सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी के साथ-साथ सेहत और पर्यावरण को भी बचाया जा सकेगा। एक अनुमान के मुताबिक 2022-23 में रसायनिक खाद की सब्सिडी 2.25 लाख करोड़ रुपये पहुँचने का अनुमान है। पहले इसकी अनुमानित राशि 1.62 लाख करोड़ रुपये निर्धारित की गई थी, लेकिन उसमें 39 प्रतिशत की बढ़ोतरी के बाद कुल बजट में वृद्धि देखी जा रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार केमिकल कंपाउंड और फर्टिलाइजर मंत्रालय ने पीएम प्रणाम योजना का प्रस्ताव दिया है और इससे जुड़े मुद्दों के बारे में कुछ राज्यों से बात भी हुई है। इस योजना के बारे में राज्यों से सुझाव भी मांगा गया है। अगर यह योजना शुरू होती है, तो इसके लिए सरकार की तरफ से अलग फंड का आवंटन नहीं होगा बल्कि मौजूदा फर्टिलाइजर सब्सिडी में ही इसका प्रावधान किया जाएगा। उर्वरक सब्सिडी का 50 प्रतिशत हिस्सा राज्यों को ग्रांट के रूप में दिया जाएगा ताकि वे उस पैसे का इस्तेमाल वैकल्पिक खादों के स्रोत पर कर सकें। इस ग्रांट का 70 प्रतिशत हिस्सा गांवों, ब्लॉक और जिला स्तर पर वैकल्पिक उर्वरक बनाने की टेक्नोलॉजी, फर्टिलाइजर मैन्युफैक्चरिंग मॉडल तैयार करने में किया जाएगा। शेष 30 प्रतिशत हिस्से का इस्तेमाल किसानों, पंचायतों, किसान उत्पादक संगठनों और स्वयं सहायता समूहों को जागरूक करने और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए किया जाएगा।