कृषि पिटारा

टमाटर की कीमतों में बेतहासा वृद्धि, जानिए देश की विभिन्न मंडियों का हाल

नई दिल्ली: पिछले कुछ दिनों में देश के कई हिस्सों में टमाटर के मूल्य 100 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक हो गए हैं, जिससे लाखों परिवारों में चिंता बढ़ गई है। द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, थोक बाजारों में मूल्यों में बढ़ोतरी के बाद स्थानीय बाजारों में भी टमाटर की कीमत में 80 रुपये से 120 रुपये प्रति किलो के बीच वृद्धि हुई है। इसके साथ ही, किसानों ने गर्मी और मॉनसून की देरी की वजह से उत्पादन में कमी को जिम्मेदार ठहराया है। मई महीने में टमाटर की कीमत तीन से पांच रुपये प्रति किलो रह गई थी। इसलिए काफी किसानों ने टमाटर की खेती करने से खुद को अलग कर लिया। लागत की कमी के कारण, कई किसानों ने अपनी खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चला दिया था। कुल मिलाकर टमाटर की बढ़ती कीमतों के पीछे कई कारण हैं।

बेंगलुरु में भी सब्जियों के दाम बढ़ गए हैं। कुछ सब्जियों पर लोगों को 100 फीसदी ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है। अच्छी क्वालिटी के टमाटर के दाम 90-100 रुपये हो गए हैं। कोलार मंडी में टमाटर बेचने आए किसान अंजी रेड्डी के अनुसार इस साल खराब मौसम के कारण टमाटर की बुआई कम हुई है और उत्पादन भी गिरा है। इसके चलते कीमत में उछाल आया है।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी टमाटर की खुदरा कीमत अब 100 रुपये प्रति किलो हो गई है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को दिल्ली के आजादपुर थोक बाजार के टमाटर व्यापारी अशोक गनोर ने बताया, “पिछले दो दिनों में टमाटर की कीमतें दोगुनी हो गई हैं। हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों से टमाटर की सप्लाई कम हो गई है। अब हम बेंगलुरु से टमाटर मांग रहे हैं। टमाटर के जो पौधे जमीन पर थे, वे हाल की बारिश के दौरान क्षतिग्रस्त हो गए हैं। केवल तारों के सहारे फलने वाले पौधे ही बचे हैं।”

महाराष्ट्र के नारायणगांव क्षेत्र के किसान अजय बेल्हेकर ने कहा कि, “किसानों ने फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव और उर्वरकों का उपयोग किया है, लेकिन इस बारिशी मौसम में यह प्रभावी नहीं रहा है। टमाटर के पौधे को कीटों और रोगों से बचाने के लिए खाद दी गई है, लेकिन यह बारिश में धुल जाती है और फसल को नुकसान पहुंचाती है।”

टमाटर की कीमतें बाजार की मांग और परिस्थितियों के कारण प्रभावित होती हैं। ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि टमाटर की बुआई में कमी और उत्पादन में गिरावट के कारण कई इलाकों में उच्च कीमतों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा बाढ़ और अनुमानित मौसम की स्थिति भी बाजार की प्रतिक्रिया पर प्रभाव डाल सकती है।

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