कृषि पिटारा

इस योजना के तहत् केंद्र सरकार करेगी मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहित

नई दिल्ली: केंद्र सरकार देश में मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहित करने का प्रयास कर रही है। इसके लिए सरकार ने मिलेट मिशन योजना की शुरुआत की है। सरकार का मानना है कि मोटे अनाज की खेती से किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होगी और भूमिगत जल का स्तर और पर्यावरण भी स्वच्छ होगा। क्योंकि मोटे अनाज की खेती में बहुत कम सिंचाई की जरूरत होती है। इन फसलों की खेती में कीटनाशक और खाद का इस्तेमाल भी न के बराबर किया जाता है।

इस बार बजट पेश करने के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए श्री अन्न योजना की शुर करने की घोषणा की है। साथ ही कहा कि अब मोटे अनाज को श्री अन्न के नाम से जाना जाएगा। केंद्र सरकार की इस घोषणा से महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में छोटे और सीमांत किसानों को काफी फायदा होने वाला है। क्योंकि इन राज्यों में सबसे अधिक मोटे अनाज की खेती की जाती है। ऐसे में इन राज्यों के किसानों की आमदनी में इजाफा होगा। जबकि, चावल और गेहूं उपजाने वाले राज्यों को केंद्र की इस घोषण से ज्यादा लाभ मिलने की उम्मीद नहीं है।

कृषि विशेषज्ञों की मानें तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह बजट भारत को बाजरा के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाने का प्रयास है, जिसे चावल और गेहूं के स्वस्थ विकल्प के रूप में देखा जा सकता है। बता दें कि भारत 50.9 मिलियन टन से अधिक बाजरा का उत्पादन करता है, जो एशिया में उत्पादन का 80 प्रतिशत और वैश्विक उत्पादन का 20 है। भारत में बाजरा की औसत उपज 1,239 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है, जबकि वैश्विक औसत 1,229 किलोग्राम है। भारत में छोटे और सीमांत किसान, जिनके पास कम पैसा है, वे इस फसल की खेती करते हैं। बाजरा को बढ़ावा देने के लिए वित्त मंत्री की पहल से इन किसानों को काफी फायदा होने की उम्मीद है, क्योंकि इससे बाजरा की खेती का रकबा तो बढ़ेगा ही, साथ ही साथ किसानों की कमाई भी बढ़ेगी।

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