लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले साल किसान उत्पादक संगठनों के लिए सरकार द्वारा निर्मित देश का पहला ऑनलाइन पोर्टल लॉंच किया था। यह पोर्टल उन किसानों के लिए काफी फायदेमंद है, जो एफ़पीओ का गठन कर कृषि के जरिये अपने मुनाफे को बढ़ाना चाहते हैं। इस पोर्टल का नाम है – यूपी एफपीओ शक्ति। यह पोर्टल किसानों और किसान उत्पादक संगठनों को सशक्त एवं स्वावलम्बी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस पोर्टल की समस्त सुविधाएं एंड्रॉइड मोबाइल ऐप पर भी उपलब्ध हैं।
इस पोर्टल का विकास कृषि विभाग एवं बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा संचालित परियोजना के अंतर्गत तकनीकी सहायता इकाई के सहयोग से किया गया है। जहाँ तक यूपी एफपीओ शक्ति पोर्टल से होने वाले कुछ प्रमुख फायदों का सवाल है तो इससे किसानों, उत्पादक संगठनों और व्यापारियों को एक मंच मिलेगा। उनके लिए एक खुला और आवश्यकता के अनुरूप बाज़ार भी उपलब्ध हो सकेगा। इससे मण्डी पर किसानों की निर्भरता कम होगी, बल्कि राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार सुगम हो सकेगा। यह पोर्टल एक एग्रीगेटर के रूप में सेवाएं प्रदान करेगा।
उत्तर प्रदेश सरकार को यह उम्मीद है कि अगर अन्य राज्यों में भी इस मॉडल को अपनाया गया तो आने वाले समय में देश के कृषि क्षेत्र में एक बहुत बड़ा बदलाव दिखाई देगा। और इसके जरिये रोजगार के नए अवसर, किसानों की आय में बढ़ोत्तरी, कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका बढ़ाने और उन्हें सशक्त बनाने का भी सपना साकार हो सकेगा।
आने वाले समय में यूपी एफपीओ शक्ति पोर्टल एफपीओ के गठन व सरकारी योजनाओं की जानकारी देने के साथ किसानों को विभिन्न इनपुट एवं सेवा प्रदाता, कस्टम हायरिंग सेंटर, फार्म मशीन बैंक, कृषि उत्पाद व्यापारियों और सरकार के कृषि से सम्बंधित विभागों को जोड़ने में अपनी बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है। इसके माध्यम से उत्सुक किसान एफपीओ गठन के लिए दिशा निर्देश, जिम्मेदारियां, सम्बंधित विभागों की जानकारी और फार्म प्राप्त कर सकेंगे। उपयोगकर्ता इस पोर्टल पर फसल, जनपद, एफपीओ के नाम अथवा विशेष उत्पाद के द्वारा पंजीकृत एफपीओ को खोज पाएंगे।
यूपी एफपीओ शक्ति पोर्टल पर प्रत्येक एफपीओ का अपना होम पेज है। यहाँ उस एफपीओ के संगठन व उत्पादों की जानकारी भी मौजूद है। एफपीओ अपने सदस्य किसानों के उत्पादन की सूचना पोर्टल पर डाल सकने में सक्षम हैं। यह पोर्टल कृषि क्षेत्र में मांग व आपूर्ति के अंतर को कम कर सकता है। यही नहीं, इसके जरिये फसल की कटाई के बाद होने वाले नुकसान में काफी कमी होने की संभावना है तथा किसानों को फसल के सही दाम मिलने से प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि का रास्ता साफ हो रहा है।