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उत्तर प्रदेश: ग्रामीण क्षेत्रों में खुलेंगे कॉमन फैसिलिटी सेंटर, परंपरागत उद्योगों को दिया जाएगा प्रोत्साहन

लखनऊ: खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड, उत्तर प्रदेश ने राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में परंपरागत उद्योगों को प्रोत्साहन देने की योजना बनाई है। इससे न केवल इन उद्योगों से जुड़े कारीगरों के जीवन में सुधार होगा बल्कि परंपरागत उत्पादों को भी एक नई पहचान मिलेगी। खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड की योजना के अनुसार परंपरागत उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने, अच्छी पैकेजिंग, मार्केटिंग व कच्चा माल मुहैया कराने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में कॉमन फैसिलिटी सेंटर (सीएफसी) स्थापित किए जाएंगे। इसके लिए ‘स्फूर्ति’ योजना के तहत राज्य में सीएफसी स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

स्फूर्ति योजना के तहत पारंपरिक उद्योगों को बढ़ावा दिया जाएगा। इस योजना के तहत एक जिले में एक से अधिक सीएफसी की स्थापना की जा सकती है। खादी व ग्रामोद्योग से जुड़े छोटे-छोटे उद्यमियों और कारीगरों को सीएफसी का भरपूर लाभ मिलेगा। स्फूर्ति योजना के जरिये परंपरागत उद्योगों, कारीगरों के समूहों में प्रतिस्पर्धा बढ़ाना, ग्रामीण उद्यमियों को बहुउत्पाद समूहों की स्थापना तथा उत्पाद की विपणन क्षमता को बढ़ाने जैसे कुछ प्रमुख लक्ष्य तय किए गए हैं।

जो संस्था कॉमन फैसेलिटी सेंटर स्थापित करना चाहती है उसके पास इसके लिए पर्याप्त भूमि होनी चाहिए। यदि संस्था के पास अपनी भूमि नहीं है तो वह इसे 15 साल के लीज पर भी ले सकती है। सीएफसी की स्थापना के लिए संस्था को जमीन के अलावा कुल लागत का 10 प्रतिशत खर्च वहन करना होगा। बाकी की बची हुई 90 प्रतिशत राशि सरकार की ओर से दी जाएगी। सीएफसी की स्थापना के लिए एक शर्त यह भी है कि इसे केवल ग्रामीण क्षेत्रों में ही स्थापित किया जा सकेगा।

सीएफसी स्थापना की जिम्मेदारी गैर सरकारी संस्थाओं, समितियों, सहकारी समितियों, फार्मर्स प्रोड्यूसर्स आर्गनाइजेशन, ट्रस्ट, साझेदारी फर्म, सरकारी अर्द्ध सरकारी विभाग संस्थाएं, पंचायती राज संस्थाएं, प्राइवेट अथवा पब्लिक लि. कंपनी को दी जा सकती है। व्यक्तिगत लाभार्थी भी सीएफसी की स्थापना कर सकते हैं। जहाँ तक अनुदान का सवाल है तो संस्थाओं को 90 प्रतिशत तथा व्यक्तिगत लाभार्थी को 50 फीसदी अनुदान दिया जाएगा।

आपको बता दें कि स्फूर्ति योजना के तहत जिन पारंपरिक उद्योगों के लिए सीएफसी की स्थापना की जा सकती है उनमें उत्तर प्रदेश खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के द्वारा 50 से अधिक उद्योगों को शामिल किया गया है। इनमें अगरबत्ती, आयुर्वेद, बेकिंग, केन एंड बंबू, खादी, इंब्राइडरी, फूड प्रोसेसिंग तथा हेल्थ ड्रिंक, हाथ से बनाए जाने वाले पेपर व फाइबर, बंबू क्राफ्ट, मस्टर्ड आयल, एक्वा कल्चर, गोल्ड ज्वेलरी, हैंडीक्राफ्ट, स्टील तथा लकड़ी के काम, टेराकोटा, वर्जिन कोकोनट आयल, काष्ठकला, वुलेन, इसेंसियल आयल, चिकनकारी, कारपेट, ज्वेलरी कलस्टर, वुलेन खादी कलस्टर, टर्मरिक प्रोसेसिंग, फ्रूट वेजिटेबल प्रोसेसिंग, शहद, हर्बल उत्पाद, होजरी, चमड़े से बनने वाले सामान, टमारिंड प्रोसेसिंग, पोटैटो प्रोसेसिंग, ट्राइबल इंब्रायडरी, जरी जरदोजी, कोकोनट सेल बटन, जूट कलस्टर, इंडिगो डाइ, सिल्क, सिल्क खादी, हैंडलूम और ब्रासवेयर आदि प्रमुख हैं।

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