लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने दूसरे राज्यों से वापस लौटे मजदूरों को रोजगार प्रदान करने के लिए प्रयास तेज कर दिये हैं। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। योजना के पहले चरण में सरकार करीब पाँच लाख लोगों के लिए रोजगार की व्यवस्था करेगी। लोगों को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
प्रदेश सरकार कुशल मजदूरों के लिए प्रशिक्षण की भी व्यवस्था करेगी। योजना के अनुसार प्रदेश में रॉ मटीरियल बैंक की स्थापना की जाएगी ताकि कच्चे माल की उपलब्ध्ता सुनिश्चित की जा सके। राज्य स्तर पर प्रॉडक्ट डेवलपमेंट व मार्केटिंग के लिए एक अलग संस्था का गठन किया जाएगा। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम समूह) द्वारा निर्मित उत्पादों के लिए मॉडिफिकेशन, क्वालिटी कंट्रोल व लॉजस्टिक तंत्र को पुनर्विकसित किया जाएगा। इसके अलावा पंचायत स्थित उद्योगों से निर्मित उत्पादों की बिक्री के लिए महानगरों में डेडीकेटेड स्टोर बनाए जाएंगे। पंचायत उद्योग को जैम पोर्टल, अमेजन, फ्लिपकार्ट आदि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत किया जाएगा।
मजदूरी करने वाले गरीब लोगों को रोजगार देने के लिए प्रदेश सरकार लगभग दो लाख लोगों को मनरेगा के जरिये औसतन 50 दिन तक रोजगार देगी। एनआरएलएम के तहत स्वयं सहायता समूह परिवारों को ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। पंचायत उद्योग, एनआएएलएम में एपेक्स संस्था का गठन व ग्र्रामीण स्तर पर परिवारों का सर्वे का काम 7 मई तक होगा। लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) विभाग में विभिन्न योजनाओं के लिए आवेदन पर कर्ज देने का काम 10 मई से शुरू हो जाएगा। लोगों को रोजगार देने की योजना के दूसरे चरण में रोजगार के नए अवसर भी ढूँढे जाएंगे ताकि अन्य पांच लाख लोगों को भी स्वरोजगार से जोड़ा जा सके।
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार फिलहाल बेरोजगारों को विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना, एक जनपद-एक उत्पाद, खादी ग्रामोद्योग, माटी कला बोर्ड व प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के जरिए प्रशिक्षण दिलवा कर उनके लिए रोजगार की व्यवस्था कर रही है। श्रमिकों व कारीगरों के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए छोटे-छोटे उद्योग चलाए जा रहे हैं, ताकि वे आर्थिक तंगी के शिकार ना हों।