नई दिल्ली: आजकल बाज़ार में नकली व मिलावटी उर्वरकों की भरमार हो गई है। हालाँकि उर्वरकों की कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार की ओर से भी कई प्रयास किए जा रहे हैं। कालाबाजारी के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार ने किसानों के लिए खाद का पर्याप्त इंतजाम करने की बात कही है। साथ ही केंद्र सरकार ने हिदायत दी है कि यदि किसी राज्य में खाद का अवैध भंडारण या कालाबाजारी की शिकायत मिले तो उसके खिलाफ रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) के तहत कार्रवाई की जाए।
सरकार भले ही उर्वरकों में मिलावट या उनकी कालाबाजारी को रोकने के लिए कितने ही प्रयास कर ले लेकिन जब तक हम अपने स्तर पर जागरूक नहीं होंगे, तब तक कोई भी सरकारी प्रयास नाकाफी होगा। यदि कोई किसान जानकारी के अभाव में नकली या मिलावटी उर्वरक खरीद लेता है, तो उसपर दोहरी मार पड़ती है। वो ऐसे कि, एक तरफ तो नकली होने की वजह से ये उर्वरक पूरी तरह से प्रभावी नहीं होते हैं, जिससे कि पैदावार पर इसका असर पड़ता है। दूसरी ओर, किसान उर्वरकों पर जो खर्च करता है, वह उसकी कृषि लागत को बढ़ा देता है। इसलिए यह ज़रूरी है कि हमें अपने स्तर पर उर्वरकों के असली या नकली होने की जाँच की विधि ज़रूर पता हो। तो चलिये जानते हैं कुछ प्रमुख तरीकों के बारे में जिनके जरिये आप नकली या मिलावटी उर्वरकों की आसानी से पहचान कर सकते हैं।
आम तौर पर ऐसा देखा जाता है कि किसानों के बीच जो उर्वरक खासे प्रचलित हैं उनमें मिलावट करके बाज़ार में उतारा जाता है। इसलिए इनकी ख़रीदारी करते समय यह ज़रूरी है कि आप सतर्क और जागरूक रहें।
कालाबाजारी करने वाले पोटाश में काफी मिलावट करते हैं। असली पोटाश पिसे हुए नमक और लाल मिर्च जैसा मिश्रण होता है। यह दानेदार होता है और यदि इसे पानी में घोला जाए तो खाद का लाल भाग पानी में ऊपर तैरने लगता है।
यूरिया एक ऐसा उर्वरक है जिसका उपयोग रासायनिक खेती करने वाले लगभग सभी किसान करते हैं। असली यूरिया सफेद चमकदार होता है। इसके दाने गोल और लगभग समान आकार के होते हैं। इसे पानी में डालने पर यह पूरी तरह से घुल जाता है। इस घोल को छूने पर यह शीतल महसूस होता है। यदि इसके दानों को गर्म तवे पर रखें तो ये पिघल जाते हैं और यदि आंच तेज कर दें तो तवे पर इसका कोई अवशेष नहीं बचता है।
डी०ए०पी० भी एक प्रमुख उर्वरक है। इसके असली या नकली होने की पहचान काफी आसान है। यह सख्त, दानेदार और बादामी रंग लिए हुए होता है। इसे तवे पर धीमी आंच में गर्म करने पर इसके दाने फूल जाते हैं। डी०ए०पी० के कुछ दानों को लेकर यदि उसमें चूना मिला कर मसलें तो उसमे से बहुत तीखी और असह्य गंध निकलती है।
जहाँ तक बात है असली सुपर फॉस्फेट की तो यह कठोर और दानेदार (कभी-कभी यह चूर्ण के रूप में भी उपलब्ध होता है) होता है। इसका रंग भूरा-काला और बादामी होता है। अगर इसके दानों को नाखूनों से तोड़ने का प्रयास करें तो यह आसानी से टूटता नहीं है। इस दानेदार उर्वरक को यदि गरम किया जाये तो इसके दाने फूलते नहीं हैं।