कृषि पिटारा

उत्तर प्रदेश: गन्ना किसानों की उपज बढ़ाने पर सरकार का ज़ोर

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने इस कार्यकाल के दौरान गन्ना मिलों के संचलन की व्यवस्था को दुरूस्त करने की दिशा कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इससे किसानों को काफी सहूलियत हुई है। मार्च 2017 में जब योगी आदित्याथ ने बतौर मुख्यमंत्री प्रदेश की कमान संभाली थी तब गन्ने का बकाया, संचलन में चीनी मिलों की मनमानी गन्ना किसानों की मुख्य समस्या थी। चूंकि इसकी खेती से लाखों किसान परिवार जुड़े हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों की प्रमुख फसल ही गन्ना है। लिहाजा गन्ना मूल्य के बकाए पर ही कुछ लोगों की राजनीति चलती थी। मिलों की मनमानी से खेत में गन्ना जलाना आम बात थी। बतौर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने पहले कार्यकाल में गन्ना किसानों के भुगतान पर फोकस किया। नतीजन गन्ना किसानों को रिकॉर्ड भुगतान हुआ. पहले कार्यकाल और दूसरे कार्यकाल के एक साल पूरा होने पर इस बाबत जारी आकड़ों के मुताबिक गन्ना किसानों को दो लाख दो हजार करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया जा चुका है। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है। सरकार की ओर से मिलर्स को साफ निर्देश है कि जब तक किसानों के खेत में गन्ना है तब तक मिलें बंद नहीं होंगी। इसके अलावा भुगतान की समयावधि भी तय की गई और ऑनलाइन पेमेंट के जरिए इसे पारदर्शी भी बनाया गया है।

गन्ने किसानों की उपरोक्त समस्याओं को दूर करने के बाद अब सरकार का जोर गन्ने की खेती को और लाभप्रद बनाने पर है। यह तभी संभव है जब खेती की लागत कम होगी और प्रति हेक्टेयर उपज में वृद्धि होगी। इसमें समय पर कृषि निवेश की उपलब्धता एवं सिंचाई के अपेक्षाकृत दक्ष संसाधनों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। जैसा कि गन्ना साल भर की फसल है। इसके तैयार होने में कृषि जलवायु क्षेत्र में होने वाली वर्षा के अनुसार 3 से 7 बार पानी की जरूरत पड़ती है। एक अनुमान के मुताबिक गन्ने की फसल को 1500 से 2500 मिलीमीटर पानी की जरूरत होती है। यह तब है जब किसान खेत की परंपरागत रूप से तालाब, पोखर, नलकूप, पंपिगसेट से सिंचाई करते हैं। इस विधा से सिंचाई में आधा से अधिक पानी बर्बाद हो जाता है। अगर खेत की लेवलिंग सही नहीं है तो कहीं कम और कहीं अधिक पानी लगने से फसल को होने वाली क्षति अलग है।

ऐसे में ड्रिप इरीगेशन से कम समय मे हम फसल को जरूरत भर पानी देकर पानी की बर्बादी के साथ सिंचाई की लागत भी बढ़ा सकते हैं। यही वजह है कि सरकार का ड्रिप एवं स्प्रिंकलर विधा से सिंचाई पर खासा जोर है। इसके लिए योगी सरकार लघु सीमांत किसानों को तय रकबे के लिए 90 फीसद एवं अन्य किसानों को 80 फीसद तक अनुदान दे रही है। इसी क्रम में गन्ना विभाग ने भी एक पहल की है वह ड्रिप इरीगेशन से आच्छादन के लिए किसानों को 20 फीसद ब्याज मुक्त ऋण देने का फैसला किया है। इसकी अदायगी गन्ना मूल्य भुगतान से हो जाएगी। यह ऋण किसानों को चीनी मिलें एवं गन्ना विकास विभाग उपलब्ध कराएगा। इससे प्रदेश के 90 फीसद से अधिक गन्ना उत्पादक किसानों को लाभ मिलेगा। इस बाबत हाल ही में यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन और विश्व बैंक के संसाधन समूह (2030 डब्लू आरजी) के बीच एक मेमोरंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग भी हो चुकी है।

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