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क्या है ब्लैक क्वार्टर बीमारी? मवेशियों के लिए यह क्यों है खतरनाक?

नई दिल्ली: ब्लैक क्वार्टर पशुओं को होने वाली एक घातक बीमारी है। यह एक काफी संक्रामक बीमारी है, जो बहुत तेज गति से एक से दूसरे पशु में फैलती है। इस बीमारी का कारण एक वायरस है। इस रोग से भैंस, भेड़ और बकरी भी प्रभावित होते हैं। ब्लैक क्वार्टर रोग से सबसे अधिक खतरा 6-24 महीने के उम्र के युवा पशुओं को होता है। ये बहुत जल्द ही इसकी चपेट में आ जाते हैं। यह बीमारी आम तौर पर बारिश के मौसम मे होती है। इसलिए अगर आप पशुपालन कर रहे हैं तो इस मौसम में पशुओं की अतिरिक्त देखभाल करें।

जहां तक ब्लैक क्वार्टर के प्रमुख लक्षणों का सवाल है तो इससे पीड़ित पशुओं में भूख की कमी देखने को मिलती है। साथ ही उन्हें बुखार भी होता है। ठीक से आहार ग्रहण नहीं करने के कारण वे जल्द ही कमजोर हो जाते हैं। इस रोग से संक्रमित होने पर पशुओं की नाड़ी और हृदय की गति तेज हो जाती है। इसके अलावा उन्हें सांस लेने में भी परेशानी होती है।

यह रोग पशुओं में क्लासट्रीडियम सोविआइ नामक जीवाणु से उत्पन्न होता है। इस रोग के जीवाणु चारा खाने के दौरान पशुओं के आंत में प्रवेश कर जाते हैं। ब्लैक क्वार्टर रोग होने से पशुओं के अगले व पिछले पैर और इसके उपरी भागों पर मांसपेशियां काला पड़ जाता है। इसके बाद पैरों में सूजन के साथ लंगड़ापन के लक्षण दिखने लगते हैं। पशु ठीक से चल नही पाते और शरीर में रोग पूरी तरह फैल जाने के बाद जमीन पर गिर जाते हैं। यदि पशुओं में ब्लैक क्वार्टर रोग के लक्षण दिखे तो पेनिसिलीन की सुई अवश्य लगवाएं। इसके अलावा एम्पीसिलीन, क्लोक्सासिलीन और एमौक्सिलीन दवा काफी फायदेमंद साबित होता है। दवाओं का उपयोग पशु चिकित्सक की देखरेख में ही करना चाहिए। बरसात के समय में छह माह से उपर के पशुओं को बीक्यू वैक्सीन अवश्य लगवा देना चाहिए। साथ ही बीमारी के लक्षण दिखते ही यथाशीघ्र अपने नजदीकी पशुपालन विभाग या पशुपालन केंद्र से संपर्क करना चाहिए।

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