कृषि पिटारा

अल-नीनो की वजह से क्यों चिंतित हैं किसान?

इस बार मॉनसून के बीच अल-नीनो (El Nino) की आशंका देश के लिए एक चिंता का विषय है। मौसम विभाग ने पहले ही अपने पूर्वानुमान में बताया है कि जुलाई महीने में अल-नीनो की स्थिति बन सकती है, जिससे बारिश कम होने और सूखे का अंदेशा है। इस आशंका को एक और विश्वस्तरीय मौसम विज्ञान संगठन, वर्ल्ड मेटरोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन (WMO) ने भी दोहराया है। WMO की स्टडी के अनुसार पिछले सात साल में पहली बार अल-नीनो की स्थिति बन रही है, और इससे मौसम में कई बड़े बदलाव आ सकते हैं। अल-नीनो के चलते प्रशांत महासागर का तापमान बढ़ सकता है, जिससे यहां और दुनिया के अन्य देशों के मौसम पर गर्मी का प्रभाव दिख सकता है। इसके चलते भारत जैसे कृषि प्रधान देशों की खेती पर असर पड़ सकता है। अल-नीनो से फसलों की पैदावार घटती है, जिससे दुनिया भर की खाद्य सुरक्षा पर असर पड़ सकता है। विशेष रूप से पाम ऑयल की उत्पादन करने वाले देशों के लिए यह खतरनाक हो सकता है। इससे भारत में पाम तेल की कीमतों में वृद्धि होने की संभावना है।

भारत की अर्थव्यवस्था में खेती का महत्व अधिक होता है और यहां की खेती मॉनसून पर निर्भर करती है। अगर अल-नीनो के कारण मॉनसून कमजोर होता है या सूखा पड़ता है, तो खेती और फसलों पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। किसानों की आय कम होने से उन्हें भारी नुकसान हो सकता है और महंगाई बढ़ने की संभावना भी रहती है। इससे भारत की पूरी खाद्य सुरक्षा पर भी असर पड़ सकता है और कुपोषण का खतरा भी बढ़ सकता है।

भारत सरकार इस समस्या का सामना करने के लिए कई उपाय अपना रही है। रेनवाटर हार्वेस्टिंग, जल संरक्षण के उपाय, और जल संसाधनों की प्रबंधन विधियों को समर्थित किया जा रहा है। साथ ही, खेती के लिए सूखे और अधिकतम तापमान के लिए बेहतर ज़मीन और जलवायु अनुकूल फसलें विकसित कर रहे हैं। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सिंचाई योजना और नेशनल ग्राउंडवाटर मैनेजमेंट इंप्रूवमेंट स्कीम जैसी कई योजनाएं कृषि क्षेत्र में सुधार करने के लिए चल रही हैं।

इसे ध्यान में रखते हुए, सरकार और समुदाय को मिलकर एकजुट होकर इस खतरे का सामना करने के लिए सक्रिय उत्तरदायित्व निभाने की ज़रूरत है। जल संवर्धन, जलवायु अनुकूल खेती, और संरक्षित वन्यजीवन के लिए भी एक सामर्थ्यपूर्ण रणनीति बनाने के लिए इस समय पर कदम उठाए जाने चाहिए। इससे न केवल खेती बल्कि समृद्धि और विकास की दिशा में भी सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है।

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