कृषि पिटारा

बासमती चावल को क्यों नहीं मिल रहा है जीआई टैग?

नई दिल्ली: भारत के बासमती चावल को लंबे समय से GI Tag मिलने का इंतजार किया जा रहा है। लेकिन आज तक ये मामला कागजी लड़ाई में उलझा हुआ है। बासमती चावल को उसकी लाजवाब खुशबू और स्वाद के लिए जाना जाता है। हमारा देश बासमती चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है। हमारे यहाँ हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, दिल्ली और जम्मू कश्मीर में इसकी खेती की जा रही है। अगर इस किस्म के इतिहास की बात करें तो तमाम इतिहासकार मानते हैं कि भारत में बासमती चावल की पैदावार प्राचीन समय से की जा रही है। एरोमैटिक राइसेस किताब में यह दावा किया गया कि हड़प्पा-मोहनजोदड़ो की खुदाई में इसके प्रमाण मिले हैं। लेकिन फिर भी भारत के बासमती चावल को आज तक जीआई टैग नहीं मिल पाया है, इसका प्रमुख कारण है – पाकिस्तान।

वैसे बासमती चावल की सबसे ज्यादा पैदावार भारत में होती है, लेकिन आजादी के बाद जब भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ, तब से पाकिस्‍तान भी बासमती चावल पैदा कर रहा है। इस तरह ये चावल भारत के साथ-साथ पाकिस्तान की भी अर्थव्यवस्था का जरूरी हिस्सा है। इस वजह से जब कुछ साल पहले भारत ने यूरोपियन यूनियन में बासमती चावल को GI Tag देने के लिए आवेदन किया था, तो पाकिस्तान ने इस पर कड़ा एतराज जताया था। पाकिस्तान ने कहा था कि बासमती चावल उसकी जमीन पर भी उगता है। अगर भारत को बासमती चावल के लिए GI Tag दिया गया तो उसके बासमती चावल निर्यात पर असर पड़ सकता है और उससे उसके किसानों की आजीविका प्रभावित हो सकती है।  7 दिसम्बर 2020 को पाकिस्तान ने ईयू में भारतीय दावों के खिलाफ नोटिस दिया। इसके साथ ये भी कहा गया कि यूरोपियन यूनियन जीआई टैग देने वाली संस्था नहीं है। मामला आगे बढ़ा तो यूरोपियन यूनियन ने यह निर्देश दिया कि दोनों देश यह मामला आपस में सुलझाएँ। तब से बासमती चावल को GI Tag देने का मामला अधर मे लटका हुआ है।

यह टैग एक प्रकार का संकेत होता है। GI Tag के जरिए किसी चीज पर मुहर लगती है वो चीज आधिकारिक तौर पर कहां से ताल्लुक रखती है। इसका पूरा नाम GI Tag यानी जियोग्राफिकल इंडिकेशंस टैग होता है। भारतीय संसद में इसे वर्ष 1999 में पारित किया गया था। रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट के तहत ‘जियोग्राफिकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स’ को संसद द्वारा पारित कर पूरे देश में लागू कर दिया गया। यह किसी विशेष क्षेत्र में प्रचलित वस्तु को दिया जाता है। जिससे उस वस्तु की एक अलग पहचान बनी रहती है।

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