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क्या 2022 तक वाकई में दोगुनी हो आएगी किसानों की आमदनी?

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य तय कर रखा है। हालांकि अब समय 2022 की दहलीज पर खड़ा है और ऐसी कोई दशा नहीं दिख रही है कि सरकार अपने इस लक्ष्य को पाने में सफल हो जाए। कई कृषि विशेषज्ञ इस लक्ष्य को महज एक सब्जबाग या चुनावी शिगूफ़ा भर ही मान रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद सरकार को अभी भी उम्मीद है कि किसानों की आय निर्धारित समय में दोगुनी हो जाएगी।

इस संबंध में संसद में जानकारी देते हुए कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने बताया है कि सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए जरूरी सुझाव देने के लिए एक कमेटी का गठन कर चुकी है। उन्होंने कहा है कि, “सरकार का लक्ष्य 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करना है, जिसके लिए विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं। इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सरकार ने एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है, जो किसानों को उपाय सुझाती है, जिससे उनकी आय 2022 तक दोगुनी हो जाएगी।”

कृषि राज्य मंत्री ने यह भी कहा है कि, “समिति कम निवेश के साथ उपयुक्त फसलों के लिए सुझाव देती है। साथ ही किसानों के कृषि उत्पादों को पर्याप्त समर्थन देती है और वे खेती के लिए लोन कैसे प्राप्त कर सकते हैं, इसकी जानकारी भी देती है। समिति किसानों को ई-नाम के जरिए उत्पादों की बिक्री और उपयोग के तरीके भी सुझाती है। इनके अलावा किसान सम्मान निधि, पीएम किसान फसल बीमा योजना और बढ़ा हुआ न्यूनतम समर्थन मूल्य कुछ ऐसे कार्यक्रम हैं, जिनके द्वारा किसानों की आय बढ़ाई जा रही है।”

कैलाश चौधरी आगे कहा कि, “सरकार जैव-उर्वरक और जैविक खेती के साथ पारंपरिक खेती को बढ़ावा दे रही है और इस कार्यक्रम के तहत चार लाख से अधिक हेक्टेयर की पहचान की गई है। पारंपरिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 29 करोड़ रुपए का निवेश किया गया है। सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए जैविक खेती और मसाले की खेती को भी बढ़ावा दे रही है।”

अब कृषि राज्य मंत्री ने उपरोक्त दावे के लिए जो तर्क प्रस्तुत किए हैं, उनमें कितनी सच्चाई है? इसका पता आने वाले कुछ दिनों में लग ही जाएगा। लेकिन देखने वाली बात यह भी है कि किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने अब से काफी समय पहले जो रोडमैप प्रस्तुत किया था, कमोबेस वही बातें कृषि राज्य मंत्री ने कही हैं। मगर वे धरातल पर कितनी प्रभावी व करगार हैं, इसका अंदाजा किसानों की मौजूदा हालत देखकर तो बिलकुल भी नहीं लग पा रहा है। यानी किसानों की दशा में अबतक ऐसा कोई व्यापक परिवर्तन देखने को नहीं मिल रहा है जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि केंद्र सरकार अपने लक्ष्य के आसपास भी है। ऐसे में देखना यह है कि केंद्र सरकार आने वाले कुछ समय में अपने द्वारा तय किए गए लक्ष्य की किस प्रकार से व्याख्या करती है?

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