कृषि पिटारा

राजस्थान सरकार के इस फैसले से जबरन कर्ज वसूली और प्रताड़ना से किसानों को मिलेगी राहत

जयपुर: रबी सीजन के दौरान बेमौसमी भारी बारिश के कारण किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा। लाखों किसानों की फसलें बर्बाद हो गई थीं। अब, खरीफ सीजन में भी मॉनसून के कारण किसानों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। जबरदस्त बारिश के कारण कहीं फसलें जलमग्न हो गई हैं, तो कहीं सूखे के कारण समस्याएं बढ़ गई हैं। इसके साथ ही, जलवायु में होने वाले बदलाव का खेती पर सीधा प्रभाव दिख रहा है। इस मुद्दे पर ध्यान देते हुए, राजस्थान सरकार ने दो अगस्त को किसान कर्ज माफी परियोजना की शुरुआत की है।

किसान कर्ज राहत आयोग के गठन के साथ, किसानों को आपसी विवादों से निपटने और उनकी समस्याओं का समाधान प्रदान करने के लिए यह एक मंच बनेगा। यह आयोग पांच सदस्यों के निर्देशन में काम करेगा, जिसमें एक रिटायर्ड हाईकोर्ट जज अध्यक्ष होंगे। इसके साथ ही, किसानों के अदालती मामलों में न्यायपालिका के पूर्व सदस्य भी शामिल होंगे। आयोग का कार्यकाल तीन साल का होगा।

हमारे देश में ऐसे बहुत सारे किसान हैं जो बैंकों और वित्तीय संस्थानों से फसली कर्ज लेकर खेती करते हैं और उपज को बेचकर कर्ज चुकता करते हैं। हालांकि, किसी कारणवश अगर फसल अच्छी नहीं होती है, तो उनके लिए कर्ज को चुकाना मुश्किल हो जाता है। वहीं, बैंक अपनी रकम को वापस करने के लिए किसानों पर दबाव बनाने लगते हैं। कई बार बैंक किसानों की जमीन को नीलाम भी कर देते हैं। यही वजह है कि बैंकों से कर्ज लेकर खेती करने वाले किसान फसल के बिकने तक परेशान रहते हैं। ऐसे किसानों की इन समस्याओं को देखते हुए राजस्थान सरकार ने किसान कर्ज माफी पर आयोग का बनाने का एक बिल पास किया। आयोग बनने के बाद बैंक और कोई भी फाइनेंशियल संस्था किसी भी कारण से फसल खराब होने की हालत में किसानों से जबरन कर्ज वसूली या कर्ज देने का दबाव नहीं बना सकेंगे।

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