नई दिल्ली: देश भर में किसानों की कृषि से संबंधित समस्याओं के निदान के लिए कृषि मंत्रालय ने 21 जनवरी 2004 को ‘किसान कॉल सेंटर’ की शुरुआत की थी। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य कॉल के जरिये किसानों की समस्याओं को सुलझाना व उन्हें सशक्त बनाना है। फिलहाल यह कॉल सेंटर राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के 14 विभिन्न स्थानों में कार्यरत हैं।
कोई भी किसान अपनी कृषि सम्बन्धी समस्याओं के समाधान के लिए किसान कॉल सेंटर में प्रतिदिन सुबह 6 बजे से लेकर रात्रि के दस बजे तक संपर्क कर सकता है। 1800 180 1551 किसान कॉल सेंटर का टोल फ्री नंबर है। जी हाँ, इस नंबर पर कॉल करने के लिए किसान को कोई शुल्क नहीं देना होगा। किसान कॉल सेंटर में सभी मोबाइल फोन और लैंडलाइन फोन के जरिये संपर्क किया जा सकता है। यहाँ किसानों के सवालों के जवाब 22 स्थानीय भाषाओं में दिये जाते हैं। इसलिए किसी भी किसान को यहाँ कॉल करने के दौरान भाषा संबंधी किसी चुनौती का सामना नहीं करना पड़ेगा और वह बेफिक्र होकर अपनी समस्याओं का समाधान पा सकता है।
किसान कॉल सेंटर एजेंट स्तर 1 एजेंट के रूप में जाना जाता है। यह एजेंट कृषि में या उससे संबंधित विषयों जैसे कि बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन, रेशम उत्पादन, कृषि अभियांत्रिकी, कृषि विपणन, जैव प्रौद्योगिकी व गृह विज्ञान आदि में ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट या और पीएच डी होते हैं। किसान मित्रों, मान लीजिये स्तर 1 एजेंट द्वारा अगर आपके किसी प्रश्न का उत्तर नहीं दिया जा सका। तो इस स्थिति में आपके प्रश्न को उच्च स्तर के विशेषज्ञों को भेजा जा सकता है। ये विशेषज्ञ राज्य कृषि विभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के विषय विशेषज्ञ होते हैं। इस व्यवस्था के तहत किसान कॉल सेंटर के द्वारा किसानों के सवालों का जवाब देने की हरसंभव कोशिश की जाती है।