कृषि पिटारा

ऐसे शुरू करें अजोला की खेती, यह फसल पशुओं के लिए है बेहद ही फायदेमंद

नई दिल्ली: सभी पशुपालक यह चाहते हैं कि उनके पशुओं के जरिये अधिक दुग्ध उत्पादन हो। इसके लिए वे पशुओं को तमाम प्रकार का पौष्टिक चारा देते हैं। पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता को बढ़ाने वाला ऐसा ही एक चारा है – अजोला। अजोला का प्रयोग पशुओं के हरे चारे के रूप में किया जाता है। इससे दुधारू पशुओं के दूध उत्पादन की क्षमता बढ़ती है। इसकी मांग भी काफी ज्यादा है क्योंकि दुधारू पशुओं के लिए यह काफी फायदेमंद है।

कई बार यह खेत में प्रकृतिक रूप से भी उग जाता है। इसकी उत्पादन लागत काफी कम होती हैं। अगर आप अजोला लगाना चाहते हैं तो अक्टूबर महीने से लेकर मार्च तक इसकी शुरुआत कर दें। क्योंकि अप्रैल, मई, जून इन तीन महीनों में अजोला का उत्पादन काफी कम हो जाता है।

अजोला में कई प्रकार के पोषक तत्व जैसे कि कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस, जिंक, कोबाल्ट, मैग्नीजियम, विटामिन, प्रोटीन, और खनिज आदि पाए जाते हैं। इसकों पशुओं को खिलाने से दूध उत्पादन में 10-15 प्रतिशत की वृद्धि होती है। साथ ही वसा की मात्रा भी 15 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। पशुओं को अजोला देते समय यह ज़रूर ध्यान रखें कि शुरूआत में इसे पशुओं को संतुलित मात्रा में दिया जाए। बाद में धीरे-धीरे आहार में आप अजोला की मात्रा को बढ़ा सकते हैं।

अगर आप अजोला उगाना चाहते हैं तो इसके लिए पांच मीटर लम्बा, एक मीटर चौड़ा और आठ से दस इंच गहरे पक्के सीमेंट के टैंक का निर्माण करें। टैंक बनाते समय यह ध्यान रखें किं वह किसी छायादार जगह पर हो। इसके बाद इसमें लगभग 40 किलोग्राम खेत की साफ-सुथरी छनी हुई भुरभुरी मिट्टी को डालें। फिर 20 लीटर पानी में दो दिन पुराने गोबर को चार-पांच किलोग्राम का घोल बनाकर अजोला के बेड पर डाल दें। फिर टैंक में सात से दस सेंटीमीटर पानी भर दें।

इसके बाद एक से डेढ़ किलोग्राम मदर अजोला कल्चर पानी में डालें। आपको दस से बारह दिन के बाद पानी के ऊपर अजोला की हरे रंग की मोटी परत दिखने लगेगी। अब आप चाहे तो हर रोज एक किलोग्राम अजोला निकाल सकते हैं। इसके लिए प्लास्टिक की छननी का इस्तेमाल करें। आगे सप्ताह में एक बार गोबर पानी का घोल बनाकर टैंक में जरुर डालते रहें। ताकि आपको समय पर बढ़िया अजोला प्राप्त होता रहे।

अजोला को आप तालाबों, झीलों, गड्ढों, और धान के खेतों में कही भी उगा सकते हैं। कई किसान इसको टबों और ड्रमों में भी उगा रहे है। यह सभी प्रकार के पशुओं के साथ-साथ मछलियों के पोषण के लिए भी बहुत उपयोगी होता है।

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