नई दिल्ली: भारत में फूल गोभी की खेती पूरे साल की जाती है। इसमें विटामिन बी के साथ-साथ प्रोटीन भी अन्य सब्जियों के मुक़ाबले पर्याप्त मात्रा में पायी जाती है। फूलगोभी की खेती के लिए ठंडी और आर्द्र जलवायु सर्वाधिक उपयुक्त होती है। फूल गोभी के तैयार होने के समय तापमान अधिक होने पर उसके फूल पत्तेदार और पीले रंग के हो जाते हैं। इस सब्जी को गर्म तापमान में उगाने से इसका स्वाद तीखा हो जाता है। इन तमाम परिस्थितियों के अलावा कुछ और भी कारक हैं जो फूल गोभी की पैदावार को प्रभावित करते हैं। मसलन कीटों व रोगों का फसल पर आक्रमण। इनसे बचाव के लिए फसल की उचित देखभाल व सही समय पर उचित उपाय अपनाकर पैदावार को बढ़ाया जा सकता है।
फूलगोभी का रस चूसने वाले कीड़े गोभी के पत्तों का रस चूसकर उन्हें पीला कर देते हैं और गिरा देते हैं। इन कीटों की वजह से फूलगोभी के बचे हुए पत्ते मुड़कर ठूठी के आकार के हो जाते हैं। गोभी के पौधों पर जैसे ही इन कीटों का हमला दिखे तो इमीडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 60 मि.ली. को 150 लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर छिड़काव करें।
इसके अलावा चमकीली पीठ वाला पतंगा भी फूल गोभी के पौधों पर हमला करने वाला एक महत्वपूर्ण कीड़ा है जो गोभी के पत्तों के नीचे की ओर अंडे देता है। यही नहीं, हरे रंग की सुंडी फूल गोभी के पत्तों को खा जाती है और उनमें छेद कर देती है। यदि इसे समय पर रोका न जाए तो पैदावार को 80-90 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है। इन कीटों से बचाव के लिए नीम के बीजों के 40 ग्राम अर्क को प्रति लीटर पानी में मिलाकर फूल बनने की शुरूआती अवस्था में स्प्रे करें। इसके बाद 10-15 दिनों के अंतराल पर दोबारा स्प्रे करें। फूल के पूरा विकसित होने पर स्प्रे ना करें। इसके इलावा बी टी घोल 200 ग्राम की स्प्रे रोपाई के बाद 35 वें और 50 वें दिन प्रति एकड़ में करें।
किसान मित्रों, फूलगोभी के पत्तों पर अक्सर सुंडी का हमला होता है। यह गोभी के पत्तों को खाती है और फसल को खराब कर देती है। इससे बचाव के लिए स्पाइनोसैड 2.5% ई सी या 100 ग्राम एमामैक्टिन बेनज़ोएट 5 एस जी को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करें। आप नीम अर्क 40 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर कर भी पौधों पर स्प्रे कर सकते हैं। यदि नुकसान ज्यादा हो तो थायोडीकार्ब 75 डब्लयू पी 40 ग्राम को प्रति 15 ली. पानी में मिलाकर पौधों पर छिड़काव करें। उपरोक्त उपायों को अपनाकर फूल गोभी की फसल से अच्छी पैदावार ली जा सकती है।