नई दिल्ली: बैंगन की फसल को विभिन्न प्रकार के कीट भारी नुकसान पहुंचाते हैं। इससे जहां फसल की गुणवत्ता पर असर पड़ता है, वहीं फसल पैदावार भी प्रभावित होती है। कीट व रोगों की समय रहते रोकथाम कर ली जाए तो अच्छी पैदावार ली जा सकती है।
प्रमुख कीट व उनकी रोकथाम
हरा तेला बैंगन की फसल को नुकसान पहुंचाने वाला एक प्रमुख कीट है। इसके प्रकोप से बैंगन की पत्तियां मुड़ जाती हैं तथा बाद में पीली होकर किनारों से सूख जाती हैं। इसका प्रकोप दिखाई देने पर 300-400 मिली लीटर मैलाथियान 50 ईसी को 200-250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें। इससे शीघ्र ही हरा तेला के प्रकोप में कमी आएगी।
सफेद मक्खी का प्रकोप बैंगन की फसल पर अक्सर देखा जाता है। यह सफेद-मटमैले रंग की अंडे के आकार की छोटी मक्खी होती है। शिशु व प्रौढ़ मक्खियाँ बैंगन के पौधे की पत्तियों का रस चूसकर नुकसान पहुंचाती हैं। यह मक्खी विषाणु रोग भी फैलाती है।
तना व फल छेदक सुंडी: ये नवजात सुंडियां नई शाखाओं में छेद करके प्रवेश कर जाती हैं। जिसके कारण शाखाएं मुरझा जाती हैं और पौधों की बढ़वार भी रूक जाती है।
उपरोक्त दोनों कीटों यानी सफेद मक्खी और तना व फल छेदक सुंडी पर रोकथाम के लिए फूल आने से पहले ही प्रकोप दिखाई देने पर 75 ग्राम स्पाइनोसेड 45 एससी को 80 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में 15 दिन के अंतराल पर तीन छिड़काव करें। बीज की फसल के लिए प्रोकलेम 5 एसजी 56 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से तीन छिड़काव करें। इसके अतिरिक्त कीट ग्रसित शाखाओं व फलों को तोड़कर गहरी मिट्टी में दबा दें या जला दें। छिड़काव करने से पहले तैयार फलों को अवश्य तोड़ लें।